कहने को तो हम आवारा स्वर हैं,
इस वक्त सुबह के आमंत्रण पर हैं,
हम ले आए हैं बीज उजाले के,
पहचानो, सूरज के हस्ताक्षर हैं!
वह अपना ही मधुवंत कलेजा था,
जो कुटियों में भी सत्य सहेजा था,
जो प्यासे क्षण में तुम्हें मिला होगा,
वह मेघदूत हमने ही भेजा था,
उजली मंजिल का परिचय पाने को,
हम दिलगीरों से नजर मिलाने को,
माथे को ज्यादा ऊँचा क्या करना!
हम धरती पर ही बैठे अंबर हैं।
ये साँसें ऐसी गंध सँजोती हैं,
जो सदियाँ हमसे चंदन होती हैं,
वैसे तो हम सीपी में बंद रहे,
लेकिन हम जन्म-जात ही मोती हैं,
हम कालजयी ऐसी भाषा सीखे -
जिस युग में दीखे आबदार ही दीखे,
दूसरा और आकार न स्वीकारा,
हम एक बूँद में सिमटे सागर हैं।
हम राही अनदेखी राहों वाले,
अमरौती तक लंबी बाँहों वाले,
ज्वालामुखियों की आग बता देगी -
हम हैं कैसे अंतर्दाहों वाले,
अपना तेवर मंगलाचरण का है,
हम उठे समय का माथा ठनका है,
अंधी उलझन के वक्त चले आना,
हम प्रश्न नहीं हैं, केवल उत्तर हैं!